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stenographer_pa07 / cpct 11 july 2025 /

created Monday November 10, 08:59 by Mergekhanna


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यह विदित है कि हर दिन और तिथि और समय का अपना कोई कोई अहमियत जरूर होी है। यह भी विदित है कि विशष रूप से हमारे देश की हर तिथि और समय और दिन का संबंध लगभग  किसी किसी जरूरी विषय से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि हमारे देश में समय समय पर होने वाले आयोजन और प्रोग्राम किसी महान पुरूष के जीवन या किसी पौराणिक कथा व्रतांत या किसी ऐतिहासिक घटनाओं से जरूर ही संबंधित होते है। हम नवंबर में बाल दिवस नेहरू जयंती के रूप में मनाते है। बाल दिवस बालकों के नि के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश में चौदह नवंबर को हर साल बाल दिवस के रूप मनाया जाता है। इस दिन को बाल दिवस के रूप में माने का विशेष कारण यही है कि हमारे देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बाल अतिशय प्रिय लगते थे और बाल भी उनको बड़े प्रेम से ाचा नेहरू कहा करते थे। उन के अपास प्रेम और लगाव का ही यह सुपरिणाम हुआ कि सभी बाल उनके जन्‍म दिन बाल दिवस के रूप में मनाने लगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी अपने जन्‍म दिन को बालकों के असीम लगाव को अपने प्रति देखकर बाल दिवस के रूप में अपना लिया था। यूं तो आज भी बाल दिवस नवंबर को हर साल धूमधाम से शिक्षालयों आदि में मनाया जाता है। तथापि सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय बनाये गए बाल दिवस की बात कुछ और ही थी। वह बाल दिवस सचमुच में  हर प्रकार से अनूठछा बाल दिवस हुआ करता था। उस समय बाल  दिवस के शुभ अवसर पर आयोजित होने वाले सभी प्रोग्रामों में पंडित नेहरू खुद ही भाग लिया करते थे। उनके लिए विशेष प्रकार की योजनाएं सरकार लागू किया करती थी। वे बाल दिवस के दिन अपने सभी प्रोगा्रमां को रद्द करके खुद को बाल दिवस के आयोजित प्रोग्रामां में लगा देते थे। उनको इस प्रकार अने साथ पाक बालक इस बाल दिवस को अपने जन्‍म दिवस से कहीं अधिक खुशी से बाग बाग हो जाते थे। चाचा नेहरू भी बालकों का इस प्रकार खुशी से झूमते हुए देखकर फुले नहीं  समाते थे। देखने  वाले तो उस पल को देख देखकर खुशी से निहाल हो उठते थे। असम में उस समय मनाया जाने वाले बाल दिवस हर प्रकार से अनूठा और बेहद रोचक  लगता था। बाल दिवस का दिन हमारे देश मंं सब जगह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सारा देश खुशी हिलेरे लेने लगता है। सबसे अधिक बालकों में ही खुशी का माहौल दिखाई देता है। बाल कों की खुशी को देख कर जवान और बूढे भी बाल दिवस को और अधिक रोचक बनाने के लिए अपना पूरा पूरा योगदान दया करते हैं। इसकेि लिए वे उनकी हर एक मांग को पूरी करने की कोशिश करते है। बालक ीाी अपने माता पिता और हितेषियों और अभिवावों की हर शिक्षा  आदेश बड़े ही आदर से पालन किया करते हैं। इससे वे बाल दिवस पूरा पूरा आनंद उठाकर अधिक संतोष का अनुभव महशूस करते है। यूं तो बाल दिवस साल में एक बार ही आता है। लेकिन यह हर सा अपना अलग अलग ही अनुभव छोड जाता है।  हर साल ऐसा लगता है मानो जेसे पहली बार मनाया जा रहा हो। बाल दिवस बालकों और सभी को बेहद प्रिय है।  

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