Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
created Nov 14th, 04:06 by typing test
0
545 words
23 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहां प्रकृति ने अपने सौंदर्य को अनेक रूपों में बिखेरा है। भारतीय जलवायु की सबसे बड़ी विशेषता इसकी ऋतु-वैविध्यता है। यहां वर्ष भर में जलवायु कई रूप बदलती है और इन्हीं परिवर्तनों के आधार पर भारत में सामान्यत: छह ऋतुएं मानी जाती हैं, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत। प्रत्येक ऋतु अपने साथ प्रकृति, जीवनशैली, खेती-किसानी, और संस्कृति में अलग-अलग स्वरूप लेकर आती है।
वसंत ऋतु को ऋतुरात कहा जाता है, क्योंकि यह ऋतुओं में सबसे सुंदर और मनभावन मानी जाती है। इसका आगमन फरवरी से मार्च के बीच होता है। इस समय वातावरण न तो अधिक ठंडा होता है और न ही अधिक गर्म। पेड़ों पर नई कोपलें और फूल खिलते हैं, खेतों में सरसों और गेहूं की बालियां लहलहाती हैं। यह ऋतु मन में उमंग, प्रेम और स्फूर्ति भर देती है। होली का पर्व भी इसी ऋतु में मनाया जाता है, जो रंगों और खुशियों का प्रतीक है।
ग्रीष्म ऋतु का आगमन अप्रैल से शुरू होकर जून तक रहता है। यह वर्ष की सबसे गर्म ऋतु होती है। उत्तर भारत में लू चलती है और तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मी अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए लोग गर्मी से बचने के लिए मसूरी, शिमला, नैनीताल जैसे स्थानों की ओर रूख करते हैं। इस ऋतु में आम, तरबूज, खरबूजा जैसे फल खूब मिलते हैं। प्रकृति का हरे-भरेपन से संबंध इस समय कम हो जाता है और वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा बढ़ जाती है।
वर्षा ऋतु जून के अंत या जुलाई की शुरूआत से भारत में वर्षा ऋतु आती है, जो सितंबर तक रहती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएं देश के अधिकांश (बुद्ध अकादमी टीकमगढ़) हिस्सों में वर्षा कराती है। वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान मानी जाती है, क्योंकि इसी समय धान, मक्का, ज्वार जैसी फसलों की बुआई होती है। खेत-खलिहान हरियाली से भर जाते हैं और नदियां-तालाब पानी से लबालब हो जाते हैं। हालांकि इस दौरान बाढ़, भूस्खलन और जलभराव जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।
अक्टूबर और नवंबर के महीनों को शरद ऋतु माना जाता है। वर्षा समाप्त होने के बाद जब आसमान साफ, धूप हल्की, और वातावरण सुहावना होता है, तब शरद ऋतु का अनुभव होता है। इस समय मौसम न अधिक गर्म होता है और न ही ठंडा। इसे शीत का पूर्वरंग कहा जा सकता है। त्योहारों का समय जैसे दुर्गा पूजा, दशहरा और दीपावली इसी ऋतु में आते हैं। खेतों में धान और अन्य खरीफ फसलों की कटाई शुरू होती है।
हेमंत ऋतु नवंबर के अंत से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह तक हेमंत ऋतु रहती है। यह शीत ऋतु का प्रारंभिक चरण है। इस दौरान सुबह-शाम ठंड बढ़ जाती है और दिन छोटे होने लगते हैं। पेड़-पौधे पत्तियां गिराने लगते हैं। भोजन में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए लोग गरम और पौष्टिक भोजन पसंद करते हैं। इस ऋतु में गन्ना, आलू आदि की फसलें उगाई जाती हैं।
शीत ऋतु दिसंबर से फरवरी तक शीत ऋतु रहती है। यह साल की सबसे ठंडी ऋतु होती है। उत्तर भारत में कई स्थानों पर पाला, कोहरा और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी देखने को मिलती है। लोग ऊनी कपड़े पहनते हैं और आग तापते हैं। रबी की फसलों में जैसे गेहूं, चना, सरसों आदि की खेती इसी ऋतु में होती है।
वसंत ऋतु को ऋतुरात कहा जाता है, क्योंकि यह ऋतुओं में सबसे सुंदर और मनभावन मानी जाती है। इसका आगमन फरवरी से मार्च के बीच होता है। इस समय वातावरण न तो अधिक ठंडा होता है और न ही अधिक गर्म। पेड़ों पर नई कोपलें और फूल खिलते हैं, खेतों में सरसों और गेहूं की बालियां लहलहाती हैं। यह ऋतु मन में उमंग, प्रेम और स्फूर्ति भर देती है। होली का पर्व भी इसी ऋतु में मनाया जाता है, जो रंगों और खुशियों का प्रतीक है।
ग्रीष्म ऋतु का आगमन अप्रैल से शुरू होकर जून तक रहता है। यह वर्ष की सबसे गर्म ऋतु होती है। उत्तर भारत में लू चलती है और तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मी अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए लोग गर्मी से बचने के लिए मसूरी, शिमला, नैनीताल जैसे स्थानों की ओर रूख करते हैं। इस ऋतु में आम, तरबूज, खरबूजा जैसे फल खूब मिलते हैं। प्रकृति का हरे-भरेपन से संबंध इस समय कम हो जाता है और वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा बढ़ जाती है।
वर्षा ऋतु जून के अंत या जुलाई की शुरूआत से भारत में वर्षा ऋतु आती है, जो सितंबर तक रहती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएं देश के अधिकांश (बुद्ध अकादमी टीकमगढ़) हिस्सों में वर्षा कराती है। वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान मानी जाती है, क्योंकि इसी समय धान, मक्का, ज्वार जैसी फसलों की बुआई होती है। खेत-खलिहान हरियाली से भर जाते हैं और नदियां-तालाब पानी से लबालब हो जाते हैं। हालांकि इस दौरान बाढ़, भूस्खलन और जलभराव जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।
अक्टूबर और नवंबर के महीनों को शरद ऋतु माना जाता है। वर्षा समाप्त होने के बाद जब आसमान साफ, धूप हल्की, और वातावरण सुहावना होता है, तब शरद ऋतु का अनुभव होता है। इस समय मौसम न अधिक गर्म होता है और न ही ठंडा। इसे शीत का पूर्वरंग कहा जा सकता है। त्योहारों का समय जैसे दुर्गा पूजा, दशहरा और दीपावली इसी ऋतु में आते हैं। खेतों में धान और अन्य खरीफ फसलों की कटाई शुरू होती है।
हेमंत ऋतु नवंबर के अंत से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह तक हेमंत ऋतु रहती है। यह शीत ऋतु का प्रारंभिक चरण है। इस दौरान सुबह-शाम ठंड बढ़ जाती है और दिन छोटे होने लगते हैं। पेड़-पौधे पत्तियां गिराने लगते हैं। भोजन में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए लोग गरम और पौष्टिक भोजन पसंद करते हैं। इस ऋतु में गन्ना, आलू आदि की फसलें उगाई जाती हैं।
शीत ऋतु दिसंबर से फरवरी तक शीत ऋतु रहती है। यह साल की सबसे ठंडी ऋतु होती है। उत्तर भारत में कई स्थानों पर पाला, कोहरा और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी देखने को मिलती है। लोग ऊनी कपड़े पहनते हैं और आग तापते हैं। रबी की फसलों में जैसे गेहूं, चना, सरसों आदि की खेती इसी ऋतु में होती है।
saving score / loading statistics ...