Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
created Today, 04:15 by typing test
0
451 words
98 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
भारतीय संविधान में कही पर भी गोपनीयता के अधिकार का उल्लेख अब तक नहीं किया गया है लेकिन भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्यक्ति को जीने का और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से स्वतंत्र तब तक नहीं कहा जा सकता है जब तक कि उसे निजता का अधिकार प्रदान न किया जाये। उदाहरण के तौर पर, जब पहली बार यह विषय उठाया गया था तो यह बात कही गई थी कि क्या पुलिस बिना वारंट के रात में किसी के भी घर में घुस सकती है, क्या कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी समय किसी के दस्तावेज या संपत्ति को हाथ लगा सकता है ये दोनों ही विवाद निजता के अधिकार अंतर्गत आते हैं। यदि सरकार के पास निजता को हासिल करने का अधिकार होगा तो दस्तावेज सरकार के पास जा सकते हैं सरकार ने पहले सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि निजता का अधिकार तो है लेकिन वह संपूर्ण अधिकार नहीं है। भारत के संविधान में कोई भी अधिकार संपूर्ण अधिकार नहीं होता है, हर अधिकार के साथ कुछ शर्तें होती हैं। उदाहरण के तौर पर बोलने की आजादी है लेकिन अगर कोई ऐसा भाषण दे जिससे लोग हिंसा पर उतारू हो जाते हैं तो सार्वजनिक हित में उस बात को रोका जा सकता है। ठीक उसी तरह जीने का अधिकार है, लेकिन फांसी की सजा दी जाती है तो जीने का अधिकार संपूर्ण नहीं कहा जा सकता। ऐसे में सरकार जो संपूर्ण अधिकार की बात कर रही थी वो सही नहीं है। यदि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है तो सरकार आसानी से इसमें हस्तक्षेप कर सकती है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद आपकी गोपनीयता के अधिकार में हस्तक्षेप करने से पहले सराकार को सुनिश्चित करना होगा कि यह हस्तक्षेप किसी कानून के तहत ही किया जये। उदाहरण के तौर पर सरकार को अगर आपसे कोई जानकारी चाहिए उससे पहले सरकार को बताना होगा किसी कानून के तहत जानकारी ली जा रही है। यानी जो जानकारी ली जा रही है अगर उसके एक हिस्से का काम का है बाकी की जानकारी का सरकार क्या करेगी।
भारत के संविधान की शुरूआत हम भारत के लोग शब्द से होती है, जो इस जगह के सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है। नागरिकों को यह समझना चाहिए कि एक लोकतंत्र के अंतर्गत कोई भी अधिकार पूर्ण नहीं होता है और सरकार को प्रभावी रूप से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें अपने अधिकारों का एक हिस्सा इसमें शामिल करना होगा। दूसरी ओर नागरिकों के निजी मामलों का निपटाने में सरकार को स्वयं दिखाना चाहिए और गलत संदर्भ में गोपनीयता के उल्लंघन के मामलों से निपटने के लिए विश्वसनीय प्रक्रियाओं को स्थापित करना चाहिए।
भारत के संविधान की शुरूआत हम भारत के लोग शब्द से होती है, जो इस जगह के सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है। नागरिकों को यह समझना चाहिए कि एक लोकतंत्र के अंतर्गत कोई भी अधिकार पूर्ण नहीं होता है और सरकार को प्रभावी रूप से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें अपने अधिकारों का एक हिस्सा इसमें शामिल करना होगा। दूसरी ओर नागरिकों के निजी मामलों का निपटाने में सरकार को स्वयं दिखाना चाहिए और गलत संदर्भ में गोपनीयता के उल्लंघन के मामलों से निपटने के लिए विश्वसनीय प्रक्रियाओं को स्थापित करना चाहिए।
saving score / loading statistics ...