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अयोध्या का मैटर

created Yesterday, 21:28 by ApoorvaTiwari


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अयोध्या के भूपति श्री दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री रामचंद्र जी ने रावण से घमासान युद्ध में उसकी नाभि में अमृत का भेद ज्ञात हो जाने पर झट-पट रथ पर चढ़ अपने प्रचण्ड बाणों का उसकी नाभि पर ऐसा प्रहार किया जिससे कुछ ही छणों में उसके प्राण पखेरू हो गए। ऋषियों का कहना है कि —“ऐसा विद्वान मनुष्य अर्थात ‘रावण की प्रकृति वाला व्यक्ति’ कभी सफल नहीं हो सकता इसलिए मनुष्य को कभी घमण्ड नहीं करनी चाहिए”। अतः क्षत्रिय, डॉक्टर और विद्यार्थी को परिश्रमी होना चाहिए। वाह! कितनी सुंदर बात कही?

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