eng
competition

Text Practice Mode

CPCT CENTER जिला पंचायत उमरिया (म.प्र.) संपर्क:- 9301406862 टाईपिंग हेतु संपर्क करें।

created Yesterday, 05:54 by R PATEL


0


Rating

532 words
33 completed
00:00
''विजय दिवस'' 16 दिसंबर को 1971 के युद्ध में पाकिस्‍तान पर भारत की जीत के कारण मनाया जाता है। इस युद्ध के अंत के बाद 93,000 पाकिस्‍तानी सेना ने आत्‍मसमर्पण कर दिया था। साल 1971 के युद्ध में भारत और बांग्‍लादेश की संयुक्‍त सेना ने पाकिस्‍तान को पराजित किया, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्‍तान स्‍वतंत्र हो गया, जो आज बांग्‍लादेश के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक और हर देशवासी के हृदय में उमंग पैदा करने वाला साबित हुआ।  
देश भर में 16 दिसम्‍बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1971 के युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्‍त हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे। पूर्वी पाकिस्‍तान में पाकिस्‍तानी बलों के कमांडर लैफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्‍य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्‍मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद 17 दिसंबर को 93,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया।  
युद्ध की पृष्‍ठभूमि साल 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी। पाकिस्‍तान के सैनिक तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्‍तान की जन भावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दिया। इसके बाद शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया गया। तब वहॉं से कई शरणार्थियों नें लगातार भारत में शरण ली।  
जब भारत में पाकिस्‍तानी सेना के दुर्व्‍यवहार की खबरें आईं, तब भारत पर यह दबाव पड़ने लगा कि वहॉं पर सेना के जरिए हस्‍तक्षेप करे। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागॉंधी चाहती थीं कि अप्रैल में आक्रमण किया जाए। इस बारे में इंदिरा गॉंधी ने थल सेनाध्‍यक्ष जनरल मानेकशॉ की राय ली।  
तब भारत के पास सिर्फ एक पर्वतीय डिवीजन था। इस डिवीजन के पास पुल बनाने की क्षमता नहीं थी। तब मानसून भी दस्‍तक देने ही वाला था। ऐसे समय में पूर्वी पाकिस्‍तान में प्रवेश करना मुसीबत मोल लेने जैसा था। मानेकशॉ ने सियासी दबाव में झुके बिना प्रधानमंत्री इंदिरा गॉंधी से स्‍पष्‍ट कह दिया कि वे पूरी तैयारी के साथ ही युद्ध के मैदान में उतरना चाहते हैं।  
3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गॉंधी तत्‍कालीन कलकत्‍ता में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। इसी दिन शाम के वक्‍त पाकिस्‍तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार करके पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाईअड्डों पर बम गिराना शुरू कर दिया। इंदिरा गॉंधी ने उसी वक्‍त दिल्‍ली लौटकर मंत्रीमंडल की आपात बैठक की।  
युद्ध शुरू होने के बाद पूर्व में तेजी से आगे बढ़ते हुए भारतीय सेना ने जैसोर और खुलना पर कब्‍ज़ा कर लिया। भारतीय सेना की रणनीति थी कि अहम ठिकानों को छोड़ते हुए पहले आगे बढ़ा जाए। युद्ध में मानेकशॉ खुलना और चटगांव पर ही कब्‍जा करने पर ज़ोर देते रहे।

saving score / loading statistics ...