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created Wednesday December 17, 12:33 by SAHU COMPUTER TYPING CENTER
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अध्यक्ष महोदय, मैं आपका बहुत आभारी हूँ कि आपने मुझे इस अवसर पर सदन में बोलने का मौका दिया है। यह जो प्रस्ताव सदस्य महोदय ने यहॉं सदन में पेश किया है उस पर दूसरे तरफ के लोगों ने अपने-अपने विचार प्रकट किए हैं। मुझे बड़ी खुशी है कि दूसरे तरफ के लोगों ने एक ही आवाज में इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, शायद यह पहला मौका है, जब इस प्रस्ताव पर सभी सदस्यों ने अपनी सहमति प्रकट की है। मुझे इस बात का भय नहीं है कि यह जो प्रस्ताव है उसे अभी मंत्री महोदय द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा और उसके बाद देश के किसानों को उनके अनाज का उचित मूल्य दे दिया जाएगा। थोडे़ दिनों बाद हममें से कुछ सदस्य आपत्ति करेंगे कि अनाज के भाव बढ़ गए हैं और देश की आम जनता परेशान हैं इसलिए कीमतों को कम किया जाना चाहिए।
सभापति महोदय, यह हमारे देश का सौभाग्य हैं कि यहॉं पर खेती में काम करने वालों की संख्या बहुत अधिक हैं। अभी थोडे़ दिन पहले हमारे योजना मंत्री जी ने बताया है कि देश में बेरोजगारी की संख्या बहुत बढ़ गई है जिन्हें हम खेती के काम में लगा सकते हैं। हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि बेराजगार लोग खेती के काम को छोड़कर शहरों की तरफ आना शुरू कर दे।
मंत्री महोदय, के कहने का मतलब यह है कि हमें खेती में काम करने वाले किसानों को अधिक से अधिक सुविधाऍं देनी होगी, ताकि वे अपने परिवार का पालन अच्छी तरह से कर सकें और अपने बच्चों को भी पढ़ा सकें।
एक समय था, जब इस देश का किसान कर्ज में पैदा होता था। कर्ज में ही बड़ा होता था और कर्ज में ही मर जाता था। आज वह स्थिति नहीं रही है। इसी के साथ यदि हमारी सरकार किसानों की भलाई के लिए कार्य करती रही तो किसानों को फिर विश्वास हो जाएगा कि यह सरकार उनका हित चाहती है और उन्हें पूरा सहयोग देकर खेती की पैदावार बढ़ाना चाहती है।
सभापति महोदय, यह हमारे देश का सौभाग्य हैं कि यहॉं पर खेती में काम करने वालों की संख्या बहुत अधिक हैं। अभी थोडे़ दिन पहले हमारे योजना मंत्री जी ने बताया है कि देश में बेरोजगारी की संख्या बहुत बढ़ गई है जिन्हें हम खेती के काम में लगा सकते हैं। हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि बेराजगार लोग खेती के काम को छोड़कर शहरों की तरफ आना शुरू कर दे।
मंत्री महोदय, के कहने का मतलब यह है कि हमें खेती में काम करने वाले किसानों को अधिक से अधिक सुविधाऍं देनी होगी, ताकि वे अपने परिवार का पालन अच्छी तरह से कर सकें और अपने बच्चों को भी पढ़ा सकें।
एक समय था, जब इस देश का किसान कर्ज में पैदा होता था। कर्ज में ही बड़ा होता था और कर्ज में ही मर जाता था। आज वह स्थिति नहीं रही है। इसी के साथ यदि हमारी सरकार किसानों की भलाई के लिए कार्य करती रही तो किसानों को फिर विश्वास हो जाएगा कि यह सरकार उनका हित चाहती है और उन्हें पूरा सहयोग देकर खेती की पैदावार बढ़ाना चाहती है।
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