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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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तकनीक के इस्‍तेमाल में दुनिया भले ही आगे बढ़ रही हो, लेकिन डिजिटल युग की इस चकाचौंध में सबसे बड़ा खतरा हमारी ऑनलाइन पहचान की सुरक्षा पर नजर रहा है। अमरीकी खुफिया एजेंसी एफबीआइ की ताजा कार्रवाई इस खतरे को खुलकर उजागर करती है। एफबीआइ ने जिस व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया है उसके पास 63 करोड़ पासवर्ड का डेटाबेस हैं, जो अलग-अलग तरीकों से चोरी कर इकट्ठे किए गए। जाहिर है इसमें साइबर दुनिया की ऐसी नाकामी भी सामने आई है, जिसमें डेटा सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े होते है। यह कोई मामूली लीक नहीं है। सवाल यही उठता हैं कि इतने बड़े पैमाने पर पासवर्ड क्‍यों कैसे चोरी हो रहे है। हमारे बैक खाते, सोशल मीडिया प्रोफाइल, ई-कॉमर्स लॉगिन, सरकारी सेवाएं और निजी संवाद सब पासवर्ड आधारित है। ऐसे में इस पैमाने पर डेटा लीक का अर्थ है करोड़ों लोगों की निजी जानकारी गलत हाथों में जाना।  
अहम सवाल यह भी है कि जब एक व्‍यक्ति के पास करोड़ों पासवर्ड हों, तो दुनिया में कितने ऐसे लोग होंगे, जिनके पास इससे भी ज्‍यादा पासवर्ड होगे? जाहिर है, हर सवाल करोडों पासवर्ड लीक होते है। बड़ा सवाल यही है कि हमारी सरकारें, बैंक और टेक कंपनियां क्‍या सचमुच डेटा सुरक्षा के लिए गंभीर है। आखिरकार साइबर ठग इन लीक पासवर्ड से क्‍या करते है। जाहिर है वे एक ही ई-मेल या मोबाइल नंबर पर क्रे‍डेशियल स्‍टफिंग अटैक करते हैं, यानी एक पासवर्ड से कई अकाउंट्स हैक कर लेते है। सच तो यह हैं कि बैंक खाते, निजी जानकारी क्रप्‍टो वॉलेट, ई-काॅमर्स, सोशल मीडिया अकाउंट सब कुछ खतरे में है। भले ही हम यह मान बैठे हैं कि हमारा पासवर्ड डेटा सुरक्षित है। डर यह सोचकर भी लगता है कि जब इतने बड़े पैमाने पर पासर्वड लीक हो सकते हैं, तो केद्रीय बैको, स्‍टॉक एक्‍सचेंजों या वित्तीय संस्‍थानों के पासवर्ड साइबर ठगों के हाथ लग जाएं तो क्‍या होगा। ऐसा हुआ तो हमारा पूरा वित्तीय सिस्‍टम इन सााइबर ठगों के हाथों में जाते देर नहीं लगने वाली।  
उपयोगकर्ता के रूप में हमें भी सावधानियां बरतनी होगी। हर जगह एक ही पासवर्ड इस्‍तेमाल नहीं करें। हर अकाउंट के लिए अलग-अलग मजबूत पासवर्ड बनाए। कुल मिलाकर सतर्कता ही बचाव है।  
 
 
 
 
 
   

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