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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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दोस्तों आपने कबीर जी का एक दोहा अवश्य सुना होगा। अर्थात, गुरू और भगवान दोनों मेरे समक्ष खड़े है और मैं पहले गुरुदेव को प्रणाम करना चाहूंगा ईश्वर को नहीं क्यों? अंत में उन्होंने एक सुत्र दिया जिन गोविन्द दियो मिलाये अर्थात जिन गुरु ने गोविन्द से मिला दिया, ईश्वर से मिला दिया। ईश्वर तो सर्वत्र है ही हमारे भीतर भी ईश्वर है, कण-कण में ईश्वर आगे, पीछे, ऊपर नीचे तीनों लोको में, समस्त ब्रम्हांड में कौन सा ऐसा स्थान है जहा पर ईश्वर नहीं है। लेकिन तब भी हम अपने आप को सदा अकेला क्यों पाते हैं अगर ईश्वर सब जगह है तो जब भी हमे कस्ट, दु:ख आपदा आती है तो क्यों ईश्वर साक्षात प्रघट होकर हमारी रक्षा नहीं करते है। सज्जनों, कबीर जी ने ऐसे ही गुरु को पहले प्रणाम करने का निर्णय नहीं लिया इसके पीछे कारण है। ईश्वर भले कण-कण में हो लेकिन जब तक ईश्वर आपको मिलते नहीं तब एक ईश्वर का आपको लाभ नहीं है। इस बात को हम एक उदाहरण से समझते है आप बहुत गरीब है और एक कमरे में रह रहे है, ना खाने को भोजन, पहनने को वस्त्र और बीमार है इलाज के लिए पैसा नहीं है, और मान लीजिये उस कमरे में जहां पर आप जमीन पर चादर बिछाकर सोते है उसी के नीचे जमीन में खजाना पड़ा हो। वह खजाना तो है लेकिन अगर वह खजाना आपको मिला ही नहीं तो क्या उस दबे हुए खजाने का आपको लाभ है आपकी गरीबी दूर होगी जाहिर सी बात है नहीं लेकिन अचानक आपके पास कोई भद्र पुरुष आता है वह व्यक्ति कहता है की भाई थोड़ा सा हटना तो और यहॉं से खुदाई कर के जहां तुम बैठे हो ठीक उसी के नीचे खजाना है आओ मैं साथ में लगकर उसे खुदवाता हु और देखते ही देखते तुम अपार धन के मालिक हो जाओगे। आप संदेह ना करे और एक बार उनकी बात मानते हुए आप यहाँ से खुदाई करे और क्या पाते है हिरेे,जवाहरात धन सम्पदा से भर पूर्ण एक सुन्दर खजाना आपके हाथ लगात है। निश्चित ही आपकी गरीबी आकपी दरिद्रता वह खजाना ही दूर करेगा इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन जैसे ही एक तरफ खजाना पड़ा है जो आपकी दरिद्रता को दूर करेगा और एक तरफ वह सज्जन पुरुष खड़ा है जिन्होंने वह खजाना आपको खनवाया आपको प्राप्त करवाया। तो बताईये इस स्थिति में आप किसको प्रणाम करेंगें उस खजाने को जो था तो आपके ही घर में लेकिन कभी नहीं कहॉं की लो मैं स्वयं जमीन से निकलकर तुम्हारे समक्ष तुम्हारे झोली में आता हु ओर कर लो अपनी दरिद्रता का नाश। और दुसरी तरफ वह सज्जन है जो ना की आपके रिश्ते में है, ना पहचान में है बस मिले और कहा की लो यहॉं से खुदाई करते है और खजाना लेते है बस खुदाई की और आपको खजाना दिलवा दिया तो आप किसको प्रणाम करेंगे पहले निश्चित है केवल प्रणाम ही नही आप उन सज्जन पुरुष के चरणों में फुट-फुट कर रोयेंगे बार-बार नमन करेंगे उनके चरण चूमेंगे ही हे आदरणीय ये तो आप आये और मेरे समस्त कस्टों का निवारण कर डाला।
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