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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Today, 05:44 by Jyotishrivatri
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सूचनाकर्ता आहत कमलेश ने मुख्य परीक्षण में यह परिसाक्षित किया है कि 5-7 माह पूर्व अर्थात् मार्च अप्रैल में जब वह सो रहा था, तब किसी व्यक्ति ने उसके बायें हाथ की कनिष्ठका अंगुली को काट दिया था और पुलिस को उसने सूचित किया था, कि किसी ने उसकी अंगुली काट दी है। विद्वान लोक अभियोजक के द्वारा साक्षी को पक्षविरोधी घोषित कराये जाने के पश्चात् मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट की कंडिका 12 के विवरण एवं साक्षी के पुलिस कथन में अंतर्विष्ट पदों को पढ़कर सुनाये जाने और उन्हें निर्दिष्ट करते हुए कतिपय सुझाव दिये गये, जिन्हें सूचनाकर्ता आहत के द्वारा मुख्य परीक्षण की कंडिका 2 एवं 3 में अस्वीकार किया गया है। इस प्रकार अभियोजन कहानी में अंतर्विष्ट घटना को सूचनाकर्ता आहत के द्वारा परिसाक्षित किया गया है किन्तु अभियुक्तगण की भूमिका को अस्वीकार किया गया है। मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित साक्षी अर्जुन ने मुख्य परीक्षण की कंडिका 1 में यह परिसाक्षित किया है कि चार माह पूर्व अर्थात् मई 2022 में उसके पिता कमलेश के साथ मारपीट की घटना कारित हुई थी जिसमें उसके पिता को कतिपय चोटें आईं थीं। साक्षी ने अग्रेतर कथन किया कि उक्त चोटें किसने पहुंचाई थीं, उसे जानकारी नहीं है। विद्वान लोक अभियोजक के द्वारा उक्त महत्वपूर्ण साक्षी को पक्षविरोधी घोषित कराये जाने के पश्चात् उसके पुलिस कथन में अंतर्विष्ट पदों को पढ़कर सुनाया और समझाया गया एवं निर्दिष्ट करते हुए कतिपय सुझाव दिये गये, जिन्हें अर्जुन ने अस्वीकार किया है। अभियोजन का किंचित समर्थन नहीं किया है। विद्वान लोक अभियोजक के द्वारा पक्षविरोधी घोषित कराये जाने के पश्चात् उसके पुलिस कथन उनके बताये अनुसार लेखबद्ध किया गया था, जिनमें उसके द्वारा कुछ भी जोड़ा और घटाया नहीं गया था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह प्रतिपादित किया है कि अन्वेषण के दौरान पुलिस अधिकारी द्वारा अभिलिखित कथन साक्ष्य में अग्राह्य हैं। उक्त कारणों से अवधारणीय बिंदु क्रमांक 2 के संबंध में न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि उक्त दिनांक, समय एवं स्थान पर अभियुक्तगण ने आहत कमलेश को उपहति कारित करने का सामान्य आशय निर्मित नहीं किया और उसके अग्रसरण में अभियुक्त ने प्रहार कर स्वेच्छया घोर उपहति कारित नहीं किया था।
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