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SAHU COMPUTER TYPING CENTER MANSAROVAR COMPLEX CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN MOB.-8085027543 MP CPCT EXAM TEST

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और देश की राजनीति की सबसे प्रभावशाली हस्तियों में से एक खालिदा ज़िया का मंगलवार को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण युग समाप्त हो गया। दशकों तक उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ रही, जिसने पूरे एक पीढ़ी तक देश की राजनीति की दिशा और दशा को प्रभावित किया। खालिदा ज़िया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष थीं, और पार्टी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। वे बांग्लादेश की पहली महिला निर्वाचित प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने राजनीति में महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले।
खालिदा ज़िया के निधन के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। इसके साथ ही बुधवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया, क्योंकि उसी दिन ढाका स्थित राष्ट्रीय संसद भवन के सामने उनकी जनाज़े की नमाज़ अदा की जानी है। सरकार ने यह भी घोषणा की कि उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके दिवंगत पति और पूर्व राष्ट्रपति जनरल ज़ियाउर रहमान के बगल में दफनाया जाएगा। उनके अंतिम संस्कार में देश-विदेश से अनेक राजनीतिक नेता और बड़ी संख्या में समर्थकों के शामिल होने की संभावना है।
खालिदा ज़िया ने कई बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की और उन्हें एक मजबूत तथा दृढ़ नेतृत्व वाली नेता के रूप में जाना जाता था। उनका राजनीतिक जीवन उपलब्धियों के साथ-साथ विवादों से भी भरा रहा। भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा, हालांकि उनके समर्थकों का हमेशा से कहना रहा कि ये मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित थे। इसी वर्ष जनवरी में बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अंतिम भ्रष्टाचार मामले में बरी कर दिया था।
उनके निधन पर अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने शोक व्यक्त किया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में देश के विकास और भारत-बांग्लादेश संबंधों में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि लोकतंत्र, बहुदलीय राजनीतिक संस्कृति और जनता के अधिकारों के लिए उनका संघर्ष सदैव स्मरणीय रहेगा। खालिदा ज़िया का निधन बांग्लादेश की राजनीति के इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ गया है।

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