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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Today, 09:40 by sandhya shrivatri
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जब भारत के विभिन्न भागों से बर्फ गिरने की खबरें आती हैं तो मुझे अपनी वे दो यात्राएं याद आती हैं जिन्हें पूरा करने पर मुझे बतौर यादगार डिप्लोमा मिला। एक यात्रा बर्फीले कैलाश मानसरोवर की थी जो बेहद मुश्किल थी तो दूसरी यात्रा फिनलैंड के आर्कटिक सर्कल के बर्फीले इलाके की थी। फिनलैंड जाने का मन केवल और केवल सांता क्लॉस की धरती पर क्रिसमस देखने के लिए बनाया था पर जब वहां सैलानियों के ठहरने के लिए बने बर्फ के गांव के बारे में पढ़ा तो तय कर लिया चाहे हो जाए एक रात बर्फ से बने वहां के होटल में गुजारनी ही है। क्रिसमस और नए साल के बीच एक तो होटल बहुत महंगे हो जाते हैं और दूसरे महीनों पहले से एक भी कमरा खाली नहीं मिलता। बार-बार तारीखों में उलटफेर करने पर और हमारे एजेंट की कोशिश से हमें एक रात के लिए एक कमरा मिला। हम दो रात ठहरना चाहते थे पर फिर हमें एक रात के लिए ग्लास इग्लू में ठहरने का मौका भी मिला। बचपन में जब भूगोल में एस्किमो और उनकी बर्फ की बनी झोपडियों यानी कि इग्लू के बारे में पढ़ा था तब मन करता था कि एक बार इग्लू में अंदर रह कर देखू। असल इग्लू से अलग था, पर वहां पुराने इग्लू में पर्यटकों को एक शाम खाने के लिए ले जाया जाता है जैसे यहां गांवों में या रेत के टीलों पर। खैर मैं बड़ी बैचेनी से उस बर्फ से बने होटल में घुसने का इंतजार कर रही थी। जब हम उसके छोटे से प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो यही लगा कि हम किसी बहुत सुविधाओं वाले इग्लू में घुस रहे पर जैसे ही हम उसके स्वागत कक्ष तक पहुंचे तो लगा कि हम किसी भ्रमलोक मे जा पहुंचे। उस साल उस की सजावट का आधार ही इल्यूजन यानी भ्रम था। वहां पहुंचने वाला कल्पना के घोडे दौडाने का अनांद भी उठा सकता था। आप यदि ये सोच रहे हैं कि उस साल की सजावट का मतलब क्या यह है कि हर साल कुछ बदल जाता है तो आप सही सोच रहे हैं। यह होटल हर साल नया बनाया जाता है और ये कुछ माह ही मेहमानों की आवभगत कर सकता है। हर साल नवंबर में यहां बर्फ से लदे हजारों ट्रक आते हैं और बर्फ के कारीगर और कलाकार कुछ ही हफ्तों में एक नई दुनिया बसा देते है, जिसमें बर्फ से बने पलंग, मेज, कुर्सी, बड़ी-बड़ी मूर्तिया से सजे ठहरने के कमरे, रेस्त्रां, बार और तो और एक संग्रहालय बडे अनुठे अंदाज में आपको हैरान कर देते है। आपको सोते समय भी बर्फ से बने पलंग पर सर्दी न लगे इसके लिए खास स्लीपिंग बैग दिए जाते है। अंदर की प्रकास व्यवस्था भी एलईडी बल्बों से की जाती है। मार्च के अंत में यह होटल, जब तापमान बढ़ने वाला होता है, बंद हो जाता है। पिघलती बर्फ उसी टोरनियंजोकी नदी में जा मिलती है। जिसके जमने पर बर्फ से यह बर्फीला होटल बनता है। खास बात यह कि बर्फ का यह गांव पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है।
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