Text Practice Mode
Hindi Typing Test--- 28/06/2016-- CO shift 3-3
created Aug 12th 2016, 07:53 by RanjeetKatiyar
1
504 words
16 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
रविवार का दिन था। सबका अवकाश था। आसमान साफ था और ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। सूरज की किरणें शहर के ऊपर बिखरी थीं। धूप में गरमी नहीं थी। मौसम सुहावना था। बिलकुल वैसा जैसा एक पिकनिक के लिए होना चाहिये। मन्नूि सोचने लगा, काश आज हम कहीं घुमने जा सकते। मन्नूु रसोई में आया। मां बेसिन में भांडे धो रही थी। मन्नू ने मां से कहा अगर वो कहीं घूमने चल सककते हैं। क्यों नही, अगर तुम्हाारा स्कूिल का काम पूरा हो गया है, तो हम जरुर घूमने चलेंगे, मां ने कहा। मैं आधे घंटे के अंदर स्कूजल का काम पूरा कर लूंगा, मन्नूू ने कहा। मन्नूे स्कूहल का काम करने बैठ गया। मन्नूल ने मां से पूछा कि वो कहां घूमने चलेंगे। बाबा और मुन्नीग ने गांधी बाग का प्ला्न बनाया है - मां ने बताया। यह बाग तो हमने पहले कभी नहीं देखा मन्नूघ ने कहा। इसीलिये तो बाग का प्ला न बनाया है, मां ने उत्तनर दिया। मन्नू काम पूरा कर के बाहर आ गया। मुन्नी के पूछने पर कि क्याक गांधी बाग बहुत दूर है, बाबा ने बताया कि उन्हें कार से लम्बाि सफर करना होगा। सुबह के काम पूरे कर के सब लोग तैयार हुए। मां ने खाने पीने की कुछ चींजें साथ में ली और वे सब कार में बैठ कर सैर को निकल पडे। रास्तान मजेदार था। सडक के दोनो ओर पेड थे। हरी घास सुंदर दिखती थी। सडक पर यातायात बहुत कम था। सफेद रंग के बादल आसमान में उड रहे थे। बाबा कार चला रहे थे। मुन्नी ने मीठी पिपरमिंट सबको बांट दी। कार में गाने सुनते हुए रास्ताम कब पार हो गया, उन्हें पता ही नहीं चला। बाबा ने कार रोकी। मां ने कहा सामान बाहर निकालो, अब हम उतरेंगे। गांधी बाग में अंदर जा कर मुन्नीड ने देखा चारों तरफ हरियाली थी। वह इधर-उधर घूमने लगी। बहुत से पेड थे। कुछ दूर पर एक नहर भी थी। नहर के ऊपर पुल था। उसने पुल के ऊपर चढ कर देखा। बडा सा बाग था। एक तरफ फूलों की क्याुरियां थीं। थोडा आगे चल कर मुन्नीअ ने देखा गांधी जी का बुत भी था। घूमते-घूमते मुन्नीथ को प्याीस लगने लगी। मां ने मुन्नी। को गिलास में संतरे का जूस दिया। मां और बाबा बाग के बीच में बने लंबे रास्तेम पर टहलने लगे। मुन्नी् फूलों की क्यारियों के पास तितलियां पकडने लगी। तितलियां तेजी से उडती थीं और आसानी से पकड में नहीं आती थीं। तितलियों के पीछे दौडते-दौडते जब वह थक गयी, तो एक पेड के नीचे सुस्तािने बैठ गयी। उसने देखा बाग में थोडी दूर पर झूले लगे थे। मन्नूे एक झूले के ऊपर से मुन्नीग को पुकार रहा था, मुन्नीै, मुन्नीस यहां आकर देखो कितना मजा आ रहा है। मुन्नीग आराम करना भूल कर झूलों के पास चली गयी। वे दोनों अलग अलग तरह के झूलों का मजा लेते रहे। मां और बाबा ने बच्चोंर को आवाज लगाकर कहा कि घर चलो। दोनों बच्चे। भाग कर उनके पास आ गए। मां और बाबा ने जानना चाहा कि उन्हेंं बाग कैसा लगा।
