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hindi typing
created Aug 18th 2016, 11:57 by user1161615
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मुझे एक घटना गांधीजी के जीवन की याद आती है। यह मुझे उनके एक सहयोगी ने बताई थी। जब चौरी चौरा की दुर्घटना हुई और उसमें अंग्रेजी सिपाहियों को भारतीय गुस्साए लोगों ने मार डाला। गांधीजी को यह समाचार मिला तो कुछ समय तक बहुत ऊहापोह में रहे। यह क्या हो गया, क्यों हो गया, क्या यह मेरा दोष है? जब कुछ समझ में नहीं आया तो वे एकांत में चले गए। कुछ देर बाद जब निकले तो जो नेता वहां उपस्थित थे, वे बापू के एकांत से बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। चिंतित वे भी थे। बापू चुपचाप आकर बैठ गए। उनके माथे की रेखाएं विलीन हो गई थीं। लोगों की राय उन्होंने शानत मन से सुनीं। अधिकतर नेता इसी पक्ष में थे कि आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए। अंग्रेज सरकार इस घटना से विचलित हो गई है। डोमिनियन स्टेट्स मनवाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। बापू ने पूछा हम अहिंसा को अपना हथियार मान चुके हैं। क्या अब हिंसा को अपनी सफलता की आड़ बनाना उचित होगा? एक वरिष्ठ नेता ने कहा, बापू सफलता हमारे सामने है हम हिंसा और अहिंसा के सवाल में उलझकर इस अवसर को कैसे गवां सकते हैं? बापू ने पूछा, क्या अहिंसा को सदा के लिए भूल जाएं? हमारा यह मतलब नहीं। हिंसा एक बार हावी हो जाए तो फिर हिंसक पशु की तरह उस समय तक नहीं छोड़ती, जब तक उसका पेट नहीं भरता। कहकर बापू उठ गए। आपने क्या निर्णय लिया? मेरी आत्मा की आवाज है - अहिंसा मेरी प्रार्थना है। मैं इसे खंडित नहीं होने दे सकता। मैं इस आंदोलन को वापस ले रहा हूं। उस दिन विरोध के उस पर्वत को उनकी प्रार्थना ने हटा दिया।
